- संवाददाता, कानपुर
रेलवे के ट्रैफिक कंट्रोलरों को भी भ्रष्ट कर दिया स्मगलरों और टैक्स चोर दलालों ने!

◆ _लीज बोगियों व वीपीयू के माध्यम से स्मगलिंग और करोड़ों की चैक्स चोरी कर रहे रेल दलाल मनमाफिक नचा रहे ट्रैफिक कंट्रोलरों को_ ◆ _ट्रेनों को लेट करवाने, आउटरों खड़ा करवा देने, रेलवे और यात्रियों का समय खोटी करने, राजस्व की भारी चोट पहुंचाने में ट्रैफिक कंट्रोलरों की भी मिलीभगत_ ◆ _आरपीएफ और जीएसटी विभाग सेल्स टैक्स अधिकारियों की भी बड़ी भागीदारी
कानपुर। शहर के सेंट्रल रेलवे स्टेशन और अनवरगंज स्टेशन पर हर महीने करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी करने वाले स्मगलरों व दलालों ने अब रेलवे के ट्रैफिक कंट्रोलरों तक को करप्ट कर दिया है। _ट्रैफिक कंट्रोलर्स अब रेलवे के इन टैक्स चोर स्मगलरों के इशारे पर गैरकानूनी रूप से लीज बोगियों वाली ट्रेनों को चलाते-रोकते हैं। यहां तक कि यात्री ट्रेन को अवैध रूप से गंतव्य से बहुत आगे-पीछे रोक कर उसकी एसएलआर व लीज बोगी को काटकर सुनसान लोको शेडों में भिजवाते हैं। जहां पर रात में ट्रकों को लगाकर आराम से करोड़ों रूपये टैक्स चोरी का माल उतार लिया जाता है।_ आराम से शहर के विभिन्न इलाकों में पहुंचा दिया जाता है। इस काम में कथित तौर पर कानपुर सेंट्रल व अनवरगंज आरपीएफ को भी अनदेखी करने की मोटी रकम दी जाती है।रेलवे सूत्रों के अनुसार कोलकाता से आने लीज बोगियों में आने वाले करोड़ों रूपये की होजरी व रेडीमेड की वीपीयू बोगी को चंदारी में ही एक्सप्रेस ट्रेन से अलग करके पुराना स्टेशन के लोको शेड पहुंचाया जाता रहा। वहीं दिल्ली की ओर से आने वाली गाड़ियों की बोगियों की वीपीयू को गोविंदपुरी, रूरूा, मैथा या पनकी में अवैध रूप से समय से अधिक रोककर काफी माल उतारा जाता है। इसमें मोबाइल, इलेक्ट्राॅनिक्स आदि होता है। कभी-कभी तो वीपीयू को काटकर अलग खड़ा कर लिया जाता है। गोविंदपुरी स्टेशन से कई बार वीपीयू को काटकर जूही यार्ड में कहीं पहुंचा दिया जाता है। पिछले साल दिसंबर से लेकर इस साल मार्च के बीच कई बार ट्रैफिक कंट्रोलरों और आरपीएफ की मदद से इस तरह का बड़ा खेल किये जाने की सूचनायें फ्लैश हुईं। रेलवे में करोड़ों के पान मसाला, केमिकल, तंबाकू उत्पाद, इलेक्ट्राॅनिक्स आदि को लीज वाली वीपीयू में टैक्स चोरी करके लाने-ले जाने वाले कानपुर के रेल दलालों का काॅकस रेल ट्रैफिक कंट्रोलरों को टैक्स चोरी की रकम में मोटा हिस्सा देकर भ्रष्ट किए हैं। इससे न सिर्फ ट्रेनें अक्सर लेट होती हैं, बल्कि रेलवे और सरकार को करोड़ों का चूना भी लग रहा है। पूरे मामले पर आईआरटीसी (भारतीय रेल यातायात सेवा) के पदाधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया। लेकिन मंडल मुख्यालय (इलाहाबाद) से लेकर कानपुर सेंट्रल तक पर कोई इस मामले पर कमेंट देने को तैयार नहीं हुआ। पर दबी जुबान से रेलवे के संगठन के पदाधिकारियों ने माना कि ट्रैफिक कंट्रोलर आराम से मैनिपुलेट हो जाते हैं। सेंट्रल स्टेशन डायरेक्टर डॉ जितेंद्र उपलब्ध नहीं हुए।