- दिव्या राकेश शर्मा देहरादून
संस्कार

"माँ यह क्या फैला कर रखा है, क्या ढूंढ रही हो?" "कुछ नहीं।" "फिर इतनी फाइलें क्यों फैला रखी हैं?" "उस अस्पताल की फाइल ढूंढ रही हूँ जहाँ तुम पैदा हुए थे।" "क्यों?" "देखना है कुछ।" "क्या माँ ।सब गोलमोल जवाब दे रही हो क्यों चाहिए फाइल इतने सालों बाद?मेरा बर्थ सर्टिफिकेट तो आपके पास रखा है क्या देखना है आपको?" "उस डॉक्टर का नंबर जिसनें मेरी डिलीवरी करवाई ।मुझे कुछ पुछना है उस से।" "क्या पुछना है माँ ?आप तो पहेलियाँ बुझा रही हो बता नहीं रही हो।मुझे कुछ हुआ है क्या?" "पुछना है कि कहीं मेरा बच्चा बदल तो नहीं गया था जन्म के समय।क्योंकि मुझे शक है तुम मेरी संतान नहीं हो।" "क्या..!ऐसा क्यों बोल रही हो माँ ।मैं आपका ही बेटा हूँ ।आप ऐसा कैसे बोल सकती हो।" "अगर तुम मेरे बेटे होते तो किसी की माँ को गालियाँ कभी नहीं देते।जैसे तुम दे रहे थे राजीव को।" "माँ मुझे माफ कर दो मुझ से भूल हो गई।ऐसा कभी नहीं होगा वादा करता हूँ।" "मैं तो माफ कर दुंगी तुम्हें लेकिन याद रखना तुम्हारी माँ के संस्कारों पर सवाल उठाया जायेगा हर बार जब भी तुम किसी की माँ या बहन को गाली दोगे।वो गालियाँ मेरे लिए होंगी।" "माँ आपके संस्कारों को कभी गाली नहीं बनने दुंगा ये वादा है मेरा।"
दिव्या राकेश शर्मा देहरादून।