- मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
सादर मौलिक रचना

तम घनी रात है
झूठी-सच्ची बात है
छोटा दीप जलाइए
तम सारा भगाइए
माना कि सुबह होगी
तब रजनी मिटेगी
तो क्या अलसाइए
अरे दीप जलाइए
फैलेगा स्वर्णिम प्रकाश
कर तो सही विश्वास
जाग, मांग अधिकार
फिर कर उपकार
जो सोता रहेगा
जुल्म-सितम सहेगा
नव ज्ञान ज्योति जला
तो होगा तेरा भला
तम घनी रात है
दीपक सी सौगात है
उठ जाग नींद भगाइए
निज पहचान बनाइए