- लेखक पंकज कुमार मिश्र
योग -शुरूआत एक परम्परा की

21 जून , को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।यह वर्ष २०१८ इस साल का चौथा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है।योग का नाम आते है जो नाम जहन मे प्रथमतया आता है वो है बाबा रामदेव जी का । योग साधना बहुत कठिन साधना होती है फिर भी इसे सुगमता से जनमानस तक पहुँचाने का काम बड़े ही सुनियोजित ढंग से , बाबा रामदेव जी द्वारा आयामित हुआ । पहली बार 21 जून, 2015 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था।विगत वर्षो की भॉति इस वर्ष भी विश्वभर के करीब 190 देशों में योग दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन योग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोगों की भागीदारी, उत्साह और जोश देखते ही बनता है। वर्तमान समय मे ,योग को कई असाध्य रोगों का अचुक ईलाज माना जाता है । खुद को फिट रखने के लिए योग बेहद जरूरी है। यह शरीर को अरोग्य ,संतुलित और मजबूत बनाता है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर को कई तरह के रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता शक्ति मिलती है।मानसिक तनाव से छुटकारा पाना हो तो योग एक असरदार उपाय बताया जाता है । सभी के लिए योग सभी के लिए स्वास्थय की जो अवधारणा बनायी गयी है वो अब एक परम्परा बनती जा रही है ।योग नि:संदेह आपको वैचारिक बनने मे आपकी मदद करेगा।योग का इतिहास सालों पुराना है ,योग करीब 5000 वर्ष पुरातन क्रिया है जो अजन्ता ऐलोरा की गुफाओं और तक्षशिला वि० वि० आदि के दिवारो पर चित्रकला के रूप मे परिलक्षीत है । इतिहासकारों के मुताबिक प्राचीन काल की गुफाओं में ध्यान करने के प्रमाण मिलते हैं। मुंबई की एलीफैंटा केव से लेकर हिमालय पर्वत की गुफाएं इसके प्रमाण हैं की योग प्राचीन भारतीय ज्ञान का समुदाय है। इसके अलावा तमिलनाडु से लेकर असम तक और बर्मा से लेकर तिब्बत तक के जंगलों की कंदराओं में आज भी वो गुफाएं मौजूद हैं, जहां पर योग और ध्यान किया जाता था। योग की उत्पत्ति योग संस्कृत धातु ‘युज’ से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है व्यक्तिगत चेतना या रूह से मिलन है। राजयोग के अन्तर्गत महिर्ष पतंजलि द्वारा बताए गए अष्टांग हैं यम, नियम, योगासन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि। योग आज के युग की आवश्यकता बनती जा रही है , वर्तमान मनुष्य कई असाध्य बिमारियों की चपेट मे सुगमता से आ जा रहा जिससे अब नितान्त जरूरी हो चला है कि योग को आवश्यक रूप से प्रतिदिन अपनाया जाना चाहिए ।भूजंगासन , सूर्यनमस्कार , शिर्षासन , अनुलोम विलोम , प्राणासन , इत्यादि कुछ ऐसे योग आसन है जो प्रतिदिन हमे करने चाहिए तभी हम निरोग और चिरस्थायी बने रह सकेंगे । - ---- पंकज कुमार मिश्रा जौनपुरी