- शिव वर्धन सिंह
केडीए के अफसरों ने शासन को पिलाई सर्वे की धुट्टी

जरौली फेस-1, 2 में अध्यासियों का मामला
कानपुर। जरौली फेस-1 एवं 2 में निर्मित 2433 भवनों पर वर्तमान मंे अवैध अध्यासन एवं भौतिक सर्वेक्षण कराये जाने के शासन के निर्देश को भी केडीए के अफसरों ने सर्वे की घुट्टी पिला दी है। यही कारण है कि आदेश के बावजूद भी सर्वे का काम अभी तक शुरू ही नहीं हो सका है। इसे लेकर वहां रहने वाले अध्यासियों में रोष व्याप्त है। जानकारी के अनुसार आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव गोकरण द्वारा विभागीय बैठक में गत 17 मई को दिए गए निर्देश के अनुपालन मंे कानपुर विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित जरौली फेस-1, 2 में निर्मित 2433 भवनों पर वर्तमान में अवैध रहने वाले लोगों के साथ ही भौतिक सर्वेक्षण का निर्देश जारी किया था। इस आदेश को अमली जामा पहनाने के लिए केडीए ने सर्वे के लिए चार टीमों का गठन किया था। फार्मेट में यह उल्लेख करना था कि किस भवन में कितने अवैध कब्जेदार हैं। कितने अवैध रूप से कब्जा जमाए हुए हैं, इसके अलावा कितने ऐसे कब्जेदार हैं जो द्वितीय, तृतीय या अन्य क्रेता हैं। कितने प्रस्ताव स्वीकृत योग्य हैं और कितने में वाद चल रहे हैं ? प्रथम टीम को कुल 176 भवनों के सर्वे का काम सौंपा गया था। इस टीम में अवर अभियंता अभियंत्रण जोन के रामसागर श्री भूपति, नूर मोहम्मद, राजेन्द्र कुमार थे जबकि द्वितीय टीम के जिम्मे 449 भवनों का सत्यापन करना था। इस टीम में अभियंत्रण जोन 3 के अवर अभियंता अनिल कुमार श्रीवास्तव, सुपरवाइजर सुरेश चन्द्र दीक्षित, राजेश कुमार, रामअवतार थे। टीम 3 में कुल 540 भवनों का सत्यापन का जिम्मा सौंपा गया था इसमें अभियंत्रण जोन 3 के अवर अभियंता शैलेन्द्र सिंह, सुपरवाइजर अनिल कुमार शर्मा, बलवान सिंह, ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव हैं। चतुर्थ टीम को 769 भवनों का सत्यापन करना था। इसमें जोन 3 अभियंत्रण के अवर अभियंता प्रमोद कुमार शर्मा, सुपरवाइजर अवध बिहारी, अनुपम कुमार, अरूण कुमार श्रीवास्तव हैं। टीम 5 को 500 भवनों का सत्यापन करना है इसके लिए अभियंता जोन 3 के अवर अभियंता राजीव कुमार श्रीवास्तव, सुपरवाइजर गोपाल सिंह बिष्ट, मोहम्मद हामिद, ब्रजलेश शर्मा हैं। संयुक्त सचिव कार्मिक के.के. सिंह द्वारा जारी आदेश की प्रति सचिव एवं संबंधित अभियंता कर्मिकों को अनुपालन हेतु उपलब्ध करा दी गई थी लेकिन विडम्बना यह है कि एक माह बाद भी सर्वे का कार्य शुरू ही नहीं हुआ। सूत्रों की मानें तो केडीए कार्यकारी उपाध्यक्ष सौम्या अग्रवाल ने मौखिक तौर पर एक माह का समय अधिकारियों को दे रखा था। सूत्र यह भी बताते हैं कि सौम्या अग्रवाल केडीए की पूर्णतः वीसी नियुक्त नहीं हैं। उनके पास केस्को एमडी का पदभार है। वर्तमान बिजली व्यवस्था को लेकर केस्को के अधिकारी परेशान रहते हैं उस पर आई आंधी ने केस्को की व्यवस्था को ही धड़ाम कर दिया है। इस कारण सौम्या अग्रवाल पूरी तरह से केडीए पर ध्यान नहीं दे पा रही हैं और उनके मातहत सरकारी आदेश के अनुपालन में कोताही बरत रहे हैं। जहां तक जरौरी फेस का मामला है। यह शुरू से ही लटका पड़ा है। मायावती शासन में शुरू की गई इस योजना का अमली जामा बसपा के अलावा सपा सरकार के कार्यकाल में भी संभव नहीं हो सका क्योंकि इन दोनांे सरकारों में प्रमुख सचिव आवास के पद पर सदाकांत तैनात थे। योगी सरकार के सत्तारूढ़ होने के छह महीने तक उन्होंने इस मामले में शासन को वही घुट्टी पिलाई जो सपा बसपा के कार्यकाल में पिलाते रहे थे। मामला योगी सरकार के संज्ञान में आने के बाद उन्हें इस पद से चलता करके मुकुल सिंघल को लाया गया लेकिन विडम्बना यह भी रही कि मुकुल सिंघल भी अपने पूर्व अधिकारियों के पथ पर चलते रहे। वर्तमान में इस पद पर गोकरण तैनात हैं, उपाध्यक्ष सौम्या अग्रवाल के संज्ञान में जरौली फेस का मामला आने पर उन्होंने इस मामले को गोकरण के समक्ष उठाया और उन्हें जानकारी दी कि इसके निस्तारण होने पर केडीए का राजस्व काफी बढ़ेगा। इसके अलावा सीएम पीएम आवास योजना में भी उपरोक्त 2433 लोगों की डिमांड कम हो जायेगी क्योंकि जरौली फेस में इन्हें मकान उपलब्ध हो जायेगा। वर्तमान में शासन के आदेश के बावजूद शासन को सर्वेक्षण की घुट्टी पिलाकर उसको लटकाये रखने के मामले से केडीए की छवि धूमिल होने के साथ ही साथ जरौली फेस 1 एवं 2 के अध्यासियों में पुनः एक बार निराशा घर करने लगी है और रोष बढ़ता जा रहा है।